माँ शैलपुत्री चालीसा पाठ – दुःख निवारक | Maa Shailputri chalisa paath- the reliever of sorrow
दुख दूर कर संकल्प शक्ति को बढाने वाली शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने से शैलपुत्री देवी की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को सुख, समृद्धि, शांति, और सम्पत्ति की प्राप्ति में मदद मिलती है। शैलपुत्री चालीसा के पाठ से दुर्गंध, दरिद्रता, रोग, दुःख, भय और संकटों का नाश होता है और भक्त को आने वाले समय में सुरक्षित रखती है। यह चालीसा भक्त को माँ शैलपुत्री के आशीर्वाद से पूर्ण कर्म सफलता और खुशियों से भरा जीवन प्रदान करती है
शैलपुत्री चालीसा माता शैलपुत्री की स्तुति और उनकी महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है। इसे भक्तिभाव से पढ़ने पर भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। आइए, शैलपुत्री चालीसा पाठ, इसके लाभ, विधि, नियम, सावधानियाँ और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
शैलपुत्री चालीसा
शैलपुत्री चालीसा माता शैलपुत्री की स्तुति और उनकी महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है। इसे भक्तिभाव से पढ़ने पर भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
॥दोहा॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
विघ्न हरण मंगल मूरति, जय जय गिरिजा लाल॥चौपाई
॥चौपाई॥
जय गिरिराजकुमारि जगत जननी। सकल सृष्टि पालक भवानी भवानी॥
जय शैलपुत्री माता महिमा अपार। जो कोई तुमको ध्यावत भव भव पार॥
चंद्रार्ध मस्तक विराजत सुभ गंगा। तुमहि देखि हरषत हिय शिव संगा॥
वाहन वृषभ राजत छवि निराली। सोहत रूप मातु शिव की ललाली॥
कहत अष्टमां महिमा अमृत वाणी। महिमा अपरम्पार विधि न जानी॥
कली कालक पाप हटावनि हरता। संतन प्रभु प्रीति प्रभु भवानी करता॥
जो कोई तुहि ध्यावत रुधि रासि भवानी। सकल सृष्टि पालक दुर्गा भवानी॥
गौरी शंकर संग विराजति सुहावनि। मंगल कारण काली माई कहलावनि॥
ध्यान धरत जो कोई नर भवानी। सकल सृष्टि में होत सुबानी॥
श्री शैलपुत्री चालीसा का पाठ। करत ध्यान जस आपनि दास॥
विनय राम दास मनु प्रीतम भवानी।
तासु ध्यान से सकल सृष्टि भवानी॥
लाभ
शक्ति का संचार: शैलपुत्री चालीसा पढ़ने से मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
भय का नाश: इसके नियमित पाठ से भय और डर दूर होते हैं।
क्लेश मुक्ति: जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
सुख-शांति: परिवार और घर में सुख और शांति का वास होता है।
समृद्धि: आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और समृद्धि का आगमन होता है।
स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
दुर्भाग्य का नाश: दुर्भाग्य और असफलता का नाश होता है।
धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों में सफलता प्राप्त होती है।
दुष्टों का नाश: दुष्ट और शत्रुओं से रक्षा होती है।
आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
दिव्य दृष्टि: शैलपुत्री चालीसा पढ़ने से दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
धन प्राप्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
संतान सुख: संतान से संबंधित समस्याओं का निवारण होता है।
कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
अवसाद से मुक्ति: मानसिक अवसाद और चिंता से मुक्ति मिलती है।
प्रभावित करने की क्षमता: दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालने की क्षमता मिलती है।
विघ्नों का नाश: जीवन के हर क्षेत्र में आने वाले विघ्नों का नाश होता है।
विधि
साफ-सफाई: पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल: पूजा स्थल को साफ करें और वहां दीपक जलाएं।
धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
मूर्ति या चित्र: शैलपुत्री माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
आसन: सफेद कपड़े का आसन बिछाकर बैठें।
संकल्प: पाठ करने से पहले संकल्प लें।
शैलपुत्री चालीसा का पाठ: पूर्ण भक्तिभाव से शैलपुत्री चालीसा का पाठ करें।
प्रसाद: अंत में प्रसाद चढ़ाएं और बांटें।
दिन, अवधि और मुहुर्थ
दिन: शैलपुत्री चालीसा का पाठ सोमवार या नवरात्रि के पहले दिन करना शुभ माना जाता है।
अवधि: इस पाठ को 21 दिनों तक लगातार करना बहुत ही लाभकारी होता है।
मुहूर्त: प्रातःकाल का समय पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
नियम
शुद्धता: पाठ करते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
भक्तिभाव: पूरे भक्तिभाव से पाठ करें।
नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें।
आसन: एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें।
ध्यान: पाठ के दौरान माता शैलपुत्री का ध्यान करें।
समर्पण: पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पाठ करें।
शैलपुत्री चालीसा पाठ में सावधानियाँ
व्यवधान से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचें।
आलस्य से बचें: आलस्य और थकान से बचने के लिए स्वस्थ रहें।
निंदा न करें: पाठ के दौरान और बाद में किसी की निंदा न करें।
अशुद्ध वस्त्र न पहनें: पाठ के दौरान स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनें।
शब्दों का उच्चारण सही करें: पाठ के शब्दों का सही उच्चारण करें।