नवरात्रि पूजा विधि: 9 दिनों की पूरी जानकारी (Navratri Pooja Vidhi in Hindi)
Maa Durga : नवरात्रि माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्र के इन पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है।
Navratri Puja Vidhi In Hindi (नवरात्रि पूजा विधि): नवरात्रि पर्व का विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है। इसकी शुरुआत आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है और समापन दशमी तिथि पर होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की अराधना की जाती है। पहले दिन भक्त अपने घर में माता की चौकी (Mata Ki Chowki) सजाते हैं साथ ही शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना (Kalash Sthapana) करते हैं। चलिए आपको बताते हैं नवरात्रि पूजा की पूरी विधि स्टेप बाय स्टेप।
नवरात्रि पूजा सामग्री (Navratri Puja Samagri)
- मां दुर्गा की प्रतिमा अथवा चित्र
- लाल चुनरी
- पान के पत्ते
- लौंग
- इलायची
- आम की पत्तियां
- चावल
- दुर्गा सप्तशती की किताब
- लाल कलावा
- गंगा जल
- मिट्टी का बर्तन
- गुलाल
- सुपारी
- चंदन
- नारियल
- कपूर
- जौ के बीज
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नवरात्रि पूजा विधि स्टेप बाय स्टेप (Navratri Puja Vidhi Step By Step)
नवरात्रि के पहले दिन माता की चौकी स्थापित करने के लिए घर का एक पवित्र स्थान चुनें।
फिर उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
शुभ मुहूर्त में पहले विधि विधान घटस्थापना करें। घटस्थापना यानी कलश स्थापना की विधि जानने के लिए यहां क्लिक करें
फिर कलश के पास या उसके ऊपर देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
साथ में अखंड ज्योत जलाएं, जो पूरे नवरात्रि जलती रहे। अखंड ज्योत जलाना आपके ऊपर निर्भर करता है।
माता को चुनरी चढ़ाएं।
फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ माता का पंचोपचार पूजा करें।
नौ दिनों तक मां दुर्गा की विधि विधान पूजा करें। उनके मंत्रों का जाप करें।
दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती, देवी कवच का पाठ करें।
सुबह-शाम माता की आरती करें और उन्हें भोग अर्पित करें।
मां दुर्गा के मंत्र (Durga Mantra)
1. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
2. हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
3. रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥
4. शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥
5. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।